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दीवाली के दीप(कविता)


 दीवाली के दीप ये, करते हैं संकेत।
गौरव गरिमा को लिये, हम हैं सदा सचेत।।1।।
जनसत्ता की ज्योति है, बलिदानों का तेल।
देश-दीप निस्तेज है, बिना हुए यह मेल।ं।2।।

बरेली के बरेली समाचार प़त्र के अज्ञात अंकमें प्रकाशित।