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गौरव गीत(कविता)


हम हिन्दू हम हिन्दू इस पर हमें बहुत ही गर्व है।

मानवता के अमर पुजारी, यही हमारी बान है।।

कभी न हमने जुल्मी बनकर, रौंदा हैं संसार को,

नाम न मजहब का लेकर के, खींचा है तलवार को,

कभी किसी का धर्म न बदला, धोखे और फरेब से,

प्यार हमारा जीवन-दर्शन, इस पर हमें गुमान है।।1।।

हम हिन्दू...........

सर्वे भवन्तु सुखिनः‘ की, नित हम ही करते कामना,

हर प्राणी सद्भाव लिए हो, इसकी रखते भावना,

नहीं चाहते अपना ही हम, सब जग का कल्याण हो,

बढे़ धर्म ही, मिटे अधर्मी, यह ही लक्ष्य महान है।ं2।।

हम हिन्दू .........

जाकी रही भावना जैसी‘ , प्रभु का वही स्वरूप है,

और बताओ इससे बढ़ कर उसका फिर क्या रूप है,

पर पीड़ा ही अधमाई है‘, करते हम उद्घोषणाा,

पर हित सरिस धर्म नहीं कोई, यह ही सच्चा ज्ञान है।।3।।

हम हिन्दू  .......

मधु कैटभ या रक्तबीज जब, लीला करे विनाशिनी,

शक्ति हमारी तब बन जाती, ‘दुर्गा -दुर्गति- हारिणी‘,

नहीं सिर्फ हम भोले शिव ही, रूद्र बने हनुमान भी,

राम हमारे ‘रवि‘ मर्यादा, कृष्ण हमारा  प्राण है ।।4।।

हम हिन्दू ...........


हिन्दू समाज को विश्व हिन्दू परिषद् की सप्रेम भेंट